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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

एक सज्जन से वार्तालाप

आज एक सज्जन पुरूष से मुलाकात हुई। पहनावा देखकर मानों ऐसा लग रहा था कि वह किसी रईस परिवार के है।दरअसल कुछ देर तक वार्तालाप चली।वार्तालाप करने के क्रम में उन्होंने कहा,विदेशों में घूम कर आए हैं,जनाब।मैनें कहा, 'अच्छा' ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है जो कम से कम विदेशों में घूमकर आए।उसके बाद कहने लगे,एक बात कहूँ सर जी?मैंने कहा-- हाँ-हाँ बिल्कुल,क्यों नहीं?
उन्होंने दुखी भाव से कहने लगे,बड़ी मुश्किल से एक प्रश्न पूछा--'हिन्दुस्तान के बारे में सब जगह यह धारणा हो गई है कि भिखारियों का देश है।ये प्रश्न सुनकर थोड़ी देर के लिए गुस्सा चढ़ा।और गुस्सा चढ़ना स्वाभाविक था।आखिर देश का सवाल था,साहब।फिर मैंने आगे वाला व्यक्ति की मनोदशा देखकर शांत हो गया।लेकिन फिर भी मैंने पूछा,सर जी आपने इंडिया में कितने जगह भीख माँगे क्या?बोले कि नहीं,मैंने तो भीख नहीं माँगी,लेकिन देश भीख माँग रहा है।तब हमें लगने लगा कि अब यहाँ विन्रमता से पेश आना उचित नहीं होगा।क्योंकि जिस देश में हम रहते है,उस देश की बुराई कोई करें।तो कैसे सहन कर सकते है।मैंने कहा,कुछ हद तक आपका कहना जायज़ हो सकता है,लेकिन इंडिया में अगर भिखारी है,तो उन भिखारियों की श्रेणियों में आप भी हो।अंत में वह चुप हो गए।लेकिन बाद में हमें भी पछतावा हुआ,हमें ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।जाते-जाते बस मैंने इतना कहा-- आपको अपने सोच बदलने की जरूरत है।क्योंकि अगर आपका सोच अच्छा होगा,तभी आप चीजों को अच्छे तरीके से देख सकते है,परख सकते है।तब हमनें मन में सोचा हमारा अजीज मित्र आकाश ठीक कहता है--'कहाँ से आते है ऐसे लोग'जो इस तरह के गलत विचार रखते हैं।
                                ---- आपका क़लमकार गौरव झा

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