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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता-- अटूट संबंध

रात में मां बच्चें को लोरी सुनाती है,
हिंदी लोरी सुनकर खुश हो जाती है,

उर्दू मां की आंचल से लिपट जाती है,
यह अटूट प्रेम देखकर मां मुस्कुराती है

हिंदी और उर्दू है अपने दिल की भाषा,
दोनों बहन की प्रेम की यही है परिभाषा।

दोस्त!हिंदी कहती हैं तुम मुझे सही से जानों,
उर्दू कहती है,हम दोनों के रिश्ता को पहचानों।

हिंदी और उर्दू में अटूट संबंध है,यही देश की शान  है,
ज़रा मुल्क का  नाम तो देखो अपना ही हिन्दुस्तान है..…..
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     ✍️शायर गौरव झा,ग्वालियर

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