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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

गीत/कवि गौरव झा//सफ़र में चलते हैं तो क्या हुआ!!

सफ़र में चलते हैं तो क्या हुआ!!
मुझे घर को वापस आना है!!
हार-जीत को साथ लेकर
हमें मंज़िल तक जाना है!!

नाकामियों को वो  घबराते
जो कायर होते हैं,
शूरवीर हार को दिल से,
स्वीकारा करते हैं।।

सफ़र में चलते हैं तो क्या हुआ!!
मुझे घर को वापस आना है!!
हार-जीत को साथ लेकर
हमें मंज़िल तक जाना है!!

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