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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता:-- रिश्ता टूट जाते हैं//कवि गौरव झा//

रिश्ता मैं कम ही बनाता हूँ
कुछ रिश्ते को निभाता हूँ
अक्सर ज्यादा रिश्ते टूट जाते हैं
क्योंकि मैं कितना भी आगे वाले को समझाऊं,
उसे कभी-कभी समझा नहीं पाता,
उल्टे गलत कहानी बता जाता
मैं सुनकर हँसता,वो पूछता
उसकी बातों को सुनकर कुछ न सूझता
उसे अक्सर माफ करता,
मेरी मस्तिष्क मुझे कहती
तू इसे माफ़ कर दें,
यह तुमसे  उम्र में भी है बड़ा,
तेरे चिंतन के सामने है नतमस्तक
मिट्टी को पीट-पीटकर कुंम्हार,
सुंदर बना देता है वह घड़ा,
रिश्ता मैं कम ही बनाता हूँ,
उसमें कुछ रिश्ते को निभाता हूँ,
उसे ही अनकही किस्से बताता हूँ,

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