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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

हे भारत माता!

हे भारत माता! कुछ पल तू ज़रा इंतज़ार कर,
माँ अपने इस छोटे से बेटे पर विश्वास कर,
सोचता हूँ मैं,दुश्मन जिसे लोग समझते,मैं जाऊँगा
मेरा राष्ट्र ने सदा से ही शांति,अमन चाहा है,
दुश्मन के बच्चों को तेरी मिट्टी का मैं पाठ पढ़ाऊंगा!
हे भारत माता! कुछ पल तू ज़रा इंतज़ार कर,
माँ अपने इस छोटा-सा बेटा पर विश्वास कर!!

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