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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता

आदिकाल से अब तक दुष्चक्रो के ख़िलाफ़ कलम लड़ी है,
चाहे दिखने में भले छोटी हो,ताकत इसकी तो बहुत बड़ी है,
सर्वनाश का काले बादल जब-जब इस धरा पर ऐसे छाएगा,
हे कलम!तू तब-तब अपने इस राष्ट्र के खातिर आग उगलेगा।
✍️कवि गौरव झा

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