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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

पेड़

वक्त कुछ ऐसा चला कि पेड़ के सारे पत्ते पेड़ से टूट गए,
जो टुकड़ा था अपने ज़िगर का साथ वहीं हमेशा छोड़ गए,
पता नहीं क्या? खता हुई ना जाने क्यूँ ए ख़ुदा,
कि सारे पत्ते एक साथ बिनकहे रिश्ता एक साथ तोड़ गए,
एक विशाल बुढ़ा पेड़ पत्ते के बिना संसार  छोड़ गए।।

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