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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

दर्द भरी शायरी

आपके हुस्न की क्या तारीफ करना चाहिए,
थोड़ी सी होठों पे मुस्कान रखना चाहिए,
कुछ अल्फाज लिखता हूँ,
दिल में कुछ जज्बात रखता हूँ,
लिखा ना हो,जो किसी ने अब तक,
ऐसा कुछ लिखूं
गीत लिखूं,गजल लिखूं या शायरी,
लिखकर हर कदम हर-पल आपके साथ हूँ,
दूर होकर भी कविता के जरिए आपके दिलों के पास हूँ।।

आपकी इस दिल लगी में अपना दिल खो बैठे,
कल तक उस माँ के थे,आज हम आपके हो बैठे,
इश्क सुना था तो बहुत,दीवाना बना लेता है,
पर आज खुद करके अपनी शमां बुझा बैठे।।।

मैं भी तुझे दिल में बसाने लगा हूँ,
कभी-कभी मैं भी सपने सजाने लगा हूँ,
तू कभी उठकर बाजारों में तो देख,
बस!तेरी ही तस्वीर लगाने लगा हूँ।।

तुझसे मुहब्बत करने लगा हूँ,
तेरी यादों में मैं जीने लगा हूँ,
बस!तू कभी मुझे ठुकराना मत,
वैसे भी मैं कभी बौखलाने लगा हूँ।।

                          ------ 💐 Writer Gaurav Jha

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