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Gaurav Jha is a signature of Kalam who is a litterateur as well as a skilled speaker, leader, stage operator and journalist. His poems, articles, memoirs, story are being published in many newspapers and magazines all over the country. At a very young age, on the basis of his authorship, quality,ability.he has made his different fame and his identity quite different in the country. They have a different identity across the country.
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कविता -- यादें
क्यों मेरी यादों को तुम भूलाने लगे हो,
चुपके-चुपके सपनों में, रूलाने लगे हो,
आँखों से खतम आँसू भी हुए अब मेरे, जाने को कहके तू दिल दुखाने लगे हो,
देखा था मैंने,लिखते मेरा नाम दिल पे,
बेदर्द अब क्यूँ,दिल को सताने लगे हो,
देखता आता रहा हूँ,तेरी राह वर्षो से ,
जाने क्यूँ जख्म देकर तू रुलाने लगे हो,
दिल से दिल की बात होती है,साझ पहर,
क्यूँ घर के पास आकर ,लौटने लगी हो,
ख्याल रखता हूँ,तेरा मैं हर वकत
इसिलिए शायद तुम आजमाने लगे हो,
परवाह रहीं नहीं तुमको ईमान की,
क्यों मुहब्बत कर सर झुकाने लगे हो,
रखनी पड़ेगी दोस्ती की फिक्र तुम्हें,
यही तो कहकह कर समझाने लगे हो,
मुझसे तू जुदा न होना कभी,
ये सोचकर बौखलाने लगा हूँ,
तू अपनी- मेरी प्यार का किस्सा ,
अपनी सहेलियों को बताने लगे हो।।।
----- ✍ कवि गौरव झा
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