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Gaurav Jha is a signature of Kalam who is a litterateur as well as a skilled speaker, leader, stage operator and journalist. His poems, articles, memoirs, story are being published in many newspapers and magazines all over the country. At a very young age, on the basis of his authorship, quality,ability.he has made his different fame and his identity quite different in the country. They have a different identity across the country.
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लेख -- जीवन क्या है।
जरूरत आज इस बात की है कि हम किस हम इस बात को समझ लें कि आख़िर हमारे जीवन का ध्येयबिंदु है कौन-सा?और यदि हरेक मानवजाति को एक बार ध्येयबिंदु का पता लग गया तो फिर कुछ नहीं,यकीनन हम कह सकते है कि समयनुसार सभी व्यक्तियों में ठीक से सही दिशा की ओर अग्रसर होगा।जैसे,प्रातःकाल छोटे-छोटे नन्हें हाथों वाले बच्चे स्कूल जाते है।दरअसल उसे मंजिल का पता होता है।आखिर जाना कहाँ है?बशर्ते कुछ बच्चे कार से जाता है,कुछ मोटरसाइकिल से और कुछ बच्चे पैदल चलता,कोई बड़े-बुज़ुर्गों ,बुद्धिजीवियों को प्रणाम करते हुए चलता है।निश्चिततौर पर सबका चलने का तरीका एक-दूसरे से अलग-अलग होता है।लेकिन यहाँ पर कहना चाहूँगा, पैदल चलने का मजा आनंददायी होता है।दरअसल पैदल चलने के क्रम में कई लोगों से रास्तें में वार्तालाप होती हैं,कुछ सीखते हुए चलते है।पैदल चलने के क्रम में बाहर कई सारे चीजों पर बारीक़ी से नजर पड़ती है,जिससे हमें बहुत कुछ अनुभव मिलता है।यकीनन जिस पर आम लोगों की नजर नहीं पड़ ती है।और नजर पड़ भी गई ,तो वे उन चीजों को इग्नोर कर देते है।लेकिन उन्हें पता नहीं कि वही छोटी-छोटी चीजें काफ़ी महत्वपूर्ण बन जाती है।सही में पैदल चलने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है।ये मेरे अपने विचार है,और व्यक्तियों के कुछ अलग-अलग विचार हो सकते है।और अंतत: वह बच्चे स्कूल ही पहुँचते है।लेकिन कार,मोटरसाइकिल, और पैदल चलने वाले बच्चों में भी फर्क होता है।उसके चरित्र,रहन-सहन,व्यक्तित्व और उसके बोल-चाल के तरीकों में भी बड़ा अंतर देखने को मिलता है।निश्चिततौर पर हरेक सामाजिक प्राणियों की दिशा,समय निश्चित होना चाहिए।आखिरकार हमें तय करना है कि हम किस राह की ओर बढ़ रहे है।या बढ़ना उचित होगा।और हाँ, अगर यहाँ पता न हो कि जाना किधर है तो फिर शायद स्कूल के,काँलेज के या किसी सिनेमाघरों के आस-पास चक्कर लगाते रहेंगे।और ऐसे व्यक्ति का रसातल में जाना तय है।और अंत में शेक्सपियर के कहे गए कथन याद आएंगे----- "जो समय को नष्ट करता है,समय भी उसे नष्ट कर देता है!!"इसिलिए स्थान,दिशा,मंजिल का पता होना अति आवश्यक है।
-----आपका अपना क़लमकार गौरव झा
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