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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

लेख -- राजनेताओं का अंत अति संकट

जिनके हृदय में जनता के दु:ख-दर्द दूर करने की कसक हो,जिनका अंत:करण दुखियों के दु:ख से द्रवित हो जाता हो,जिन दिलों में ब्राह्मणत्व एवं क्षत्रिय की भावनाएँ हिलोरें ले रही हों,उन्हें जो सच्चे अर्थो में जन-जन के हृदय में वास करना चाहते हों,ऐसे नेता बनने के इच्छुकों से हमारा यह परामर्श है कि भविष्य चरित्रवान नेताओं का है।यदि आप में यह योग्यता न हो तो विकसित करें।भ्रष्ट नेताओं का अंत अब अति निकट है।नेतागिरी का धंधा अब अधिक दिन तक चलने वाला नहीं है,बेहतर है समय रहते चेतने की जरूरत है।अन्यथा महाकाल का चक्र उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगा।अब वाकई लोगों के अन्दर जन चेतना का जागरण हो रहा है।भ्रष्ट राजनेताओं को जनता अब भलीभाँति समझ गई है।यह लोग किस प्रकार भोलीभाली जनता को अब तक लूटते रहे हैं,इनकी पोल खुल चुकी है।अब भ्रष्ट नेताओं की नेतागिरी चलने वाली नहीं हैं।भ्रष्टों को जेल में पहुँचाने का क्रम प्रारंभ हो गया है।जिन्हें नेतागिरी करनी हो उन्हें रास्ता बदल लेना चाहिए।
                 राष्ट्र के मालिक मतदाताओं को भी हमारा परामर्श है कि वे जाति धर्म,रिश्तेदारी,धन,सुविधा,खुशामद,दबाब एवं स्वार्थ के वशीभूत होकर निकृष्ट व्यक्ति को वोट देकर संसद और विधानसभा में न भेजें।एक बार की भूल पाँच साल तक कष्ट देती रहेगी। सच्चे सेवाभावी,चरित्रवान और ईमानदार नेता चुना कर जाएँगे तो सभी का हित होगा। सबके हित में अपना हित भी शामिल है।दुष्ट व्यक्ति को चुनकर भेजने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।समय रहते चेता जाए,समय आने पर सर्तक रहा जाए।बिना किसी लाभ,लोभ-लालच के अच्छे योग्य व्यक्तियों को चुना जाए।पार्टीतंत्र से ऊपर उठकर व्यक्ति को महत्व दिया जाए।व्यक्ति अच्छा होगा तो अच्छा काम करेगा चाहे वह किसी पार्टी का हो।यह परामर्श जन-जन तक पहुंचाने का एक आंदोलन राष्ट्र प्रेमी व्यक्तियों को चलाया जाना चाहिए।मतदाताओं को समझाया जाना चाहिए कि अच्छे-बुरे का पहचान करना सीखें।स्वच्छंद रुप से सही चीजों का चयन सदैव बेहतर होता है।और समय पर विवेक से काम लेकर अच्छे नेता चुनें।और सदा स्वतंत्र रुप से जीवन-यापन करें।
                                                 ------ जय हिंद  जय भारत

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