Search This Blog
Gaurav Jha is a signature of Kalam who is a litterateur as well as a skilled speaker, leader, stage operator and journalist. His poems, articles, memoirs, story are being published in many newspapers and magazines all over the country. At a very young age, on the basis of his authorship, quality,ability.he has made his different fame and his identity quite different in the country. They have a different identity across the country.
Featured
- Get link
- X
- Other Apps
लेख -- साहित्य जन्म से ही हमारे साथ है।
साहित्य जन्म से ही हमारे साथ है।बचपन में भी मां की लोरी,दादी-नानी की कहानियाॅ मन को भाती हैं।सार्थक या निरर्थक शब्दों के जोड़ तोड़ से बोलने का अभ्यास हो जाता है।शब्द आकर्षित करते हैं।मनोरंजन के साथ शिक्षा देना ही बाल लोक साहित्य का उद्देश्य रहा होगा।आज भी बाल साहित्य का जिक्र होते ही मन में पंचतंत्र और हितोपदेश की कथाएॅ आती हैं।पशु पक्षियों के माध्यम से बच्चों को उचित अनुचित सही गलत की सीख दी गयी है।पर चूॅकि वह सब कहानियाॅ एक दूसरे में गुंथी हुई हैं,उन्हें पढ पाना थोड़ा मुश्किल था।
अक्सर ऐसा कहा जाता है कि बच्चे का साहित्य से क्या लेना देना?सही बात तो यह है कि साहित्य की पहली सीढ़ी बाल जीवन ही है।लोरियाॅ क्या हैं?साहित्य में झांकने वाला सबसे पहला झरोखा ही तो हैं।स्कूल जाने से पहले ही बच्चे कहानी किस्सा सुनने और बोलने में माहिर होते हैं।काश!कितना अच्छा होता कि बच्चे की पहली पुस्तक उसके घर और उसके बाद जीवन से जुड़ी होती।आयु के आधार पर उसकी पाठ्य पुस्तकें बनी होतीं।आजकल बाल-साहित्य की ओर से छोटे-छोटे बच्चों का रुझान कम होता जा रहा है।वास्तव में समाज के भीतर यह बेहद गंभीर मुद्दा है। डिजिटल युग में बच्चों का ध्यान साहित्य की ओर कैसे आकर्षित किया जाये,इसके लिए हरेक शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों को साहित्य की महत्वता को समझाने की जरूरत है।बच्चों को महान् विभूतियों के विषय में जानकारी देना हमारा कर्तव्य है।डिजिटल ज्ञान के साथ- साथ अच्छे साहित्य का अध्ययन बच्चों का विकास ,दिशा,और दशा सभी को बदलने में मददगार होगा।
--- आपका कलमकार गौरव झा
Popular Posts
प्रकृति की गोद में खूबसूरत शहर बसा है ग्वालियर // गौरव झा
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Post a Comment