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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कवि सम्मेलन

कल नारायणी साहित्य अकादमी नई दिल्ली की संस्था के त्तत्वाधान मे महादेवी वर्मा के पुण्यतिथि पर बेगूसराय मे आयोजित कर्मचारी भवन में जाने का सुनहरा मौका मिला।विशेषतौर पर नारायणी साहित्य अकादमी संस्था की उपाध्यक्ष श्री मती रंजना सिंह जी के लिए मैं शुक्रगुजार हूं।जिन्होंने मुझे अपने कार्यक्रम का हिस्सा बनाया।कार्यक्रम में उपस्थित कवि व साहित्यकारों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।साहित्यकार चांद मुसाफिर,कैलाश झा किंकर,डाॅ सच्चिदानंद पाठक,अवधेश्वर प्रसाद सिंह आदि से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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