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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

लेख लिखने का तरीका

एक अच्छा पाठक सदैव कुछ -न-कुछ पढ़ना चाहता है चाहे लेख हो या लघु लेख।परन्तु पत्र-पत्रिकाओं में हम ज्यादातर छपने वाले समाचार, कहानी ,उपन्यास, कविता,लेख के बारे में यह कहा जाता है कि उसके पढ़ने तथा लिखने के लिए मस्तिष्क का सक्रिय तथा चौकन्ना होना अति आवश्यक है।निश्चिततौर पर हमें लेख को चलते- फिरते तथा हल्के-फुल्के तरीके से नहीं लेना चाहिए।उसके लिए गहन अध्ययन व चिंतन की आवश्यकता होती है।इसलिए मेरा मानना है कि लेख को 'गूढ़ अध्ययन पर आधारित गम्भीर, विद्वतापूर्ण,और प्रामाणिक रचना माना जाता है।किसी दूसरे लेखक के विचार हमसे भिन्न हो सकते है। पर हमारे  ङाँ.एस.मेहता सर का कहना है कि लेख बहुआयामी, उच्च गम्भीर, और व्यंग्यपूर्ण कृति है।हम प्रायः जब भी कुछ लेख ,कविता,व संस्मरण लिखते है तो हमें बहुत धैर्य और संयम की आवश्यकता होती है,उसके लिए बहुत शोध करना पड़ता है।जब तक हम संदर्भ सामग्री का अध्ययन तथा सही आँकड़े एकत्र करने के पश्चात ही एक अच्छा लेख लिखा जा सकता है।मेरे हिसाब से कविता,लेख,कहानी,संस्मरण, उपन्यास लिखना कोई सहज कार्य नहीं है,इसके लिए अत्यंत कठिन कार्य ,दुखद कार्य है।
                                   ----- @Writer Gaurav Jha

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