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Gaurav Jha is a signature of Kalam who is a litterateur as well as a skilled speaker, leader, stage operator and journalist. His poems, articles, memoirs, story are being published in many newspapers and magazines all over the country. At a very young age, on the basis of his authorship, quality,ability.he has made his different fame and his identity quite different in the country. They have a different identity across the country.
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लेख-- साहित्य जगत के लौह पुरूष दादा माखनलाल चतुर्वेदी
आज हिन्दी के कालजयी और बहुआयामी व्यक्तित्व ,अग्रगण्य साहित्यकार दादा माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचना 'एक भारतीय आत्मा' के बारे में अध्ययन कर रहा था।लगभग कुछ पन्नों को ही पढ़ा था,उसमें एक-एक शब्द बड़े प्रेरणादायक हैं।कर्मयोगी करुणापुरुष माखनलालजी ने साहित्य के सन्दर्भ में अपनी अवधारणा स्पष्ट की थी---- "लोग साहित्य को जीवन से भिन्न मानते हैं,वे कहते हैं साहित्य अपने ही लिए हो।दरअसल उनका कहना है कि साहित्य का यह धन्धा नहीं कि हमेशा मधुर ध्वनि ही निकाला करें.... जीवन को हम एक रामायण मान लें।रामायण जीवन के प्रारंभ का मनोरम बालकाण्ड ही नहीं किन्तु करुण रस से ओतप्रोत अरण्य काण्ड भी है और धधकती हुई युद्घाग्नि से प्रज्वलित लंका काण्ड भी है।"सचमुच बहुत दिनों से कई सारे प्रश्नों का हल अपने आप में ही खोज रहा था,लेकिन श्रद्धेय दादा माखनलाल जी की रचना पढ़कर बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।सचमुच अगर इनके द्वारा रचित एक शब्द को जीवन में उतार लूँ,तो भी मैं अपने को बहुत छोटा ही समझूंगा।और कुछ पढ़कर उन्हें जानने का दावा भी नहीं कर सकता। निश्चिततौर पर महान श्लाका,कालजयी व्यक्तित्व दादा माखनलालजी की रचना उनके द्वारा लिखे गए एक-एक शब्द अपने आप में महान है।ऐसे विराट व बहुआयामी व्यक्तित्व और मूर्घन्य कृतित्व की महत्ता सत्ता की तुलना में बहुत ऊँचे शिखर प्रतिष्ठित है और पीढ़ी दर पीढ़ी पूरे सामाजिक प्राणियों के लिए प्रेरणा का स्तोत्र रहेंगे।ऐसे बहुआयामी विराट व्यक्ति को अपनी अंतर्आत्मा से सत-सत नमण।
---आपका क़लमकार गौरव झा
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