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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता:--

मैं तुमसे प्यार करता हूं,
तुम्हारे लिए मैं कुछ नहीं हूँ,
तुम मेरे लिए सब कुछ हो।
तुमसे ही मेरे हृदय की
धड़कन चलती है,
तुमसे ही मेरे अंदर
हौसला भी, जुनून भी
और उम्मीद भी है,
तुम्हीं मैंने पहले प्रेरणा
भी मान चुका हूँ,
इसलिए नहीं कि
तुम्हें मैं चाहता हूँ,
बल्कि तुम्हारे महसूस
होने से मैंने बहुत
जीवन में बहुत कुछ पाया है....

I love you
I am nothing for you
You're everything to me.
My heart is yours
Heartbeat goes on,
You only in me
Encouragement as well as passion
And there is hope,
I inspired you first
Have also agreed
not because
I want you
Rather your feeling
I was very
 Have gained a lot in life.
      ✍️ @Gaurav jha

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