b:include data='blog' name='all-head-content'/> Skip to main content

Featured

हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

मैं पत्रकार हूँ।

पत्रकार हूँ,अपनी संवेदनाएं लिखता हूँ,
जान हथेली पे लेकर समाज हित की बात लिखता हूँ,
ज़ुल्म बढ़े इस धरा पे जब भी तब
क़लम से रोज़ अपनी मौत लिखता हूँ,
पत्रकार हूँ,मेरी हस्ती नहीं कुछ भी,
सिर्फ़ जन-जन की आवाज़ लिखता हूँ।
मेरे अंदर है आग जो मुझे सच लिखने को,
बैचेन करता है,
कभी दर्द तो कभी सच लिखता हूँ।
कभी आतंकियों से तो कभी ,
राजनीति से होकर गुजरता हूँ,
कभी इंकलाब लिखता हूँ तो कभी रणनीति लिखता हूँ।
कभी सड़कों पे, चौराहों पे गाली भी सुनता हूँ,
समाज देखकर कभी चुप रहता हूँ,
ख़ामोश रहता हूँ,
पत्रकार हूँ अपनी कलम से रोज़ जन-जन की आवाज़ लिखता हूँ।

Comments