b:include data='blog' name='all-head-content'/> Skip to main content

Featured

हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता:-- राह

हो जाए पथ में चलते-चलते देर कहीं,
क़दम बढ़ाकर इस दुनिया में सदा चलता हूँ,
इस हाथ में क़लम है जब तक मेरी,
मैं किसी से नहीं ज़रा भी घबराता हूँ,
राहों में हमेशा एक मुसाफ़िर की तरह,
निडर होकर सदा बढ़ता जाता हूँ।।
मुझे पता है दुनिया की भीड़ में,
चलना है सदा ही थोड़ा कठिन,
पर नेक राह को ही हमें अपनाना है,
तय करना है अपना सफ़र,
कहीं मेरी मंज़िल मुझे तो मिलेंगी,
दीपक बनकर थोड़ा ओर जलना है,
क़दम मिलाकर हमें सदा चलना है।।

Let's go somewhere while walking on the path,
I always walk in this world by taking steps
This is the pen in my hand as long as my,
I do not panic at all,
Always like a traveler on the road,
I always grow fearless.
I know in the crowd of the world,
Always have to walk a little harder,
But we have to follow the noble path,
Decide your journey,
Somewhere I will get my destination,
To be a lamp and burn a bit more,
We have to walk forever by taking steps.
-------@Gaurav Jha

Comments