b:include data='blog' name='all-head-content'/> Skip to main content

Featured

हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

ग़ज़ल

यूँ ही बेवजह बातें बनाना ठीक नहीं,
बेवजह अब यूँ भी मुस्कुराना ठीक नहीं,

दिल दे दूँ या अपना जान सरेआम तुझे दे दूँ,
कमबख्त इश्क में किसी को रूलाना ठीक नहीं।

याद में हर-पल आना किसी का ठीक नहीं,
किसी की याद में ख़ुद को तड़पाना ठीक नहीं।

लाज़िम ही है ख़ुद को किसी के नाम कर देना,
ये ज़रूरी नहीं कभी मन की बात सबको बताना।

गिरते आँसूओं का अब इस ज़माने में मोल नहीं,
ख़ामोश रहकर मुहब्बत में दिल जलाना ठीक नहीं।

जीता कौन है जमीं पे गौरव ख़ुशी से इस ज़िंदगी को,
तन्हाई में भी ख़ामोशी से मन बहलाना ठीक नहीं।।

आदतन कहो या फितरत है यहाँ पे मुहब्बत लुटाना,
अपनों से जंंग जब हो तो लाज़िम है ख़ुद हार जाना।

गिला करें भी तो क्या करें "गौरव"ख़ुद हार गया हूँ,
नफ़रत के शहर में ख़ुद को जलाना अब ठीक नहीं।।

Comments

Popular Posts