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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

कविता:-- सरहद के सिपाही

सरहद के सिपाही

यह होली है रंगों का त्योहार
मिल-जुलकर रहे सदा,
सिपाहियों के जीवन में
हो रंगों की बरसात,
जीवन की रक्षा में सरहद
पर दिन-रात डटकर
खड़ा वो हमेशा रहते,
यह होली है रंगों का त्योहार
एक पल भी हाथ में हथियार
लिए नहीं घबराता है,
दुश्मन आंख देखकर सदा ही
वो दूर भागता है,
हैं राष्ट्र के कर्मवीर सिपाही
उनका ही नित्य हम सब गुणगान करूँ,
निर्भिक होकर
मातृभूमि की खातिर 
अभिलाषा रहती उसकी अपनी
इस मिट्टी की खातिर ही मर मिटूँ।।
यह होली है रंगों का त्योहार
हर जीवन में खुशियां आएँ अपार।
इस होली में रंगों से खुशियां आएँ
भाईचारा बढ़े और सरहद पे
हिंद की रक्षा खातिर सेनाओं
का सदा होता रहें जय-जयकार
यह होली है रंगों का त्योहार,
सबके जीवन में खुशियां आएँ अपार
राष्ट्र के सिपाही एक-पल भी
अपने ज़िंदगी के खुशियों को न पहचाना,
एक पल गँवाए अपनी मातृभूमि
की खातिर केवल वो मर-मिटना जाना।
नहीं जानता चेहरे को कभी मुरझाना
सरहद पे रक्षा करते सेना को क्या?
कभी तुम सबने नज़दीकी से पहचाना,
सहसा चुप मैं बैठा था,
मिल गया मुझे इक दिन गोरखा बटालियन
पहले तो वो मुझे देखकर हिचकिचाया,
फिर उसने अपनी सारी कहानी ,
एक-एक करके मुझे भी वो सुनाया।।
यह होली है  रंगों का त्योहार
जीवन में खुशियाँ आएँ अपार।।

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