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हिंदी कविता : गांव की यादें // गौरव झा

  GAURAV JHA  ( Journalist, Writer & Columnist ) चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार  गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। सिखता आ रहा हूँ,बहुत कुछ गाँवों में रहता हूँ,हर वकत बुजुर्गो के छाँवों में। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार गाँव की  याद आती है बहुत मेरे यार।। मिलता था माँ का प्यार सदा गाँवों में जन्नत मिला है  सदा  माँ के पाँवों में।। गाँव में  मिलता बहुत लोगों का  प्यार, शहर आते बहुत कुछ खो दिया मेरे यार। चाहे चले जाओ,गर सात समुद्र पार, गाँव की याद आती है बहुत मेरे यार।। #  <script data-ad-client="ca-pub-6937823604682678" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>

हिंदी आलेख : किताब // गौरव झा

   GAURAV JHA 

( Journalist, writer & Columnist )

एक किताब ही मनुष्यों के चरित्र निर्माण के साथ-साथ उसके भविष्यों को सँवारने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जैसा कि हम सब प्राय: कहते हैं कि जैसा व्यक्ति का खान-पान, रहन-सहन होते हैं,उसी प्रकार समस्त सामाजिक प्राणियों के विचार भी वैसे ही होते हैं।एक मकान की नींव की तरह होती है 'किताब', जिस पर हर मनुष्यों के जीवन की भविष्य टिकी होती है।यह एक ऐसी शक्ति है जो दुनिया के हर बेशकीमती चीज़ों से ऊपर है।हम कह सकते हैं कि------------------------------------
"एक किताब के बिना मनुष्यों का जीवन नीरस है या अधूरा  है!!"
दरअसल यह एक रास्ता है जिस पथ पर चलकर सिर्फ़ बच्चों का चारित्रिक विकास ही नहीं होता बल्कि इससे उसका शारीरिक विकास होने के साथ-साथ उसका मानसिक विकास भी होता है।यह एक बेशकीमती कोहिनूर है।यह एक माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य समाज के मूल-कर्तव्यों, नीतियों, सिद्धांतों, वसूलों को समझता है। जिससे वो अंजान हैं, अपरिचित हैं। उसे गहराई से तथ्यों, पहलुओं और महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करता है।यह कहना बिल्कुल  ग़लत नहीं होगा कि-----------------------------
" एक किताब ही मानव के जीने का आधार है,यह मनुष्य के जीवन जीने,समझने का मूलतः लेखा-जोखा है जिसे नकारा नहीं जा सकता!!" 
यह चीज़ों,तथ्यों और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में मनुष्य जीवन में घटित होने वाली घटनाओं, आपबीती,जीवन जीने के विभिन्न आयामों को बड़ी बारीकी से अध्ययन करने के साथ-साथ मनन-चिंतन करके आसानी से जाना जा सकता है।इसे समझा जा सकता है। कुछ दिनों पहले मेरे जीवन में कुछ ऐसी घटना घटी।जिसे भूलाना मुश्किल है। लेकिन मैंने जीवन के हर मोड़ पर कुछ सकारात्मक चीज़ों को जीवन से जुड़कर लिखा।घटना एक इत्तिफाक थी।जो कभी भी किसी के साथ भी आमतौर पर घट सकती है।उस दौर को याद करते हुए मैंने एक किताब पर कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियां लिखी थी जो प्रस्तुत करना चाहूँगा--------------------------------
" एक किताब के बिना मनुष्य का जीवन वैसा ही है, जैसे एक मृत शरीर में प्राण का नहीं होना!!"

"Man's life without a book is the same as a dead body does not have life!"

       आमतौर पर किताब एक मनुष्य का सबसे अच्छा साथी होता है।एक ऐसा सच्चा दोस्त जो उसे समझता है,उसकी स्थिति को समझता है।उसके सोए हुए मन को जागृत करता है।बहर हाल हम कह सकते हैं कि "एक किताब हज़ारों-करोड़ों मित्र बनाने से अच्छा है!!" क्योंकि यह जीवन भर साथ नहीं छोड़ती है।हमेशा एक सच्चे दोस्त की तरह साथ रहती है। कोई भी किताब को पढ़ना ही महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि उस किताब में लिखी गई विषय-वस्तुओं को समझना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।एक अच्छे विद्यार्थी, पठन-पाठन से संबंधित रखने वाले लोगों का पहला कर्त्तव्य यह है कि किताब में लेखक के द्वारा कुछ भी लिखी गयी हैं। उसे आँख मुंदकर मान लेना।यह ग़लत है।उसके विचारों, विषयों को गहराई से अध्ययन करके समझें। उसके बाद किताब के लेखक को सही या ग़लत जो भी आपने महसूस किया, अध्ययन किया।उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना भी एक अच्छे पठन-पाठन या पाठकगण की विशेषता होनी चाहिए। दुनिया के विभिन्न देशों में हजारों-करोड़ों किताब प्रकाशित होते हैं। लेकिन बाजारों में कितने पाठक गण उस पुस्तक में रूचि रख रहें हैं।यह आज के आधुनिक दौर में सबसे महत्वपूर्ण है और लेखकगण के सामने एक चुनौती भी है। कुछ दिनों पहले मैंने कुछ पंक्ति लिखा था,जिसे पढ़कर आप बेहतर तरीके से किताबों की विशेषताएं को आसानीपूर्वक समझ सकते हैं---------------------------

"किताब एक माध्यम है जिससे हम अंजान हैं, अपरिचित हैं। एकांत में बैठकर पढ़ने से व्यक्ति को आंतरिक सुखों की अनुभूति होती है।खुशी मिलती है।अंतर्मन के विचार शुद्ध होते हैं।सबसे अच्छा जिज्ञासु वहीं जो एक पूरी किताब पढ़ने के साथ-साथ सतत् उसकी इच्छा बरकरार रहें। सभी प्रकार के दुखों को भूलाकर वो आनंद महसूस करता है क्योंकि "सीखना ही मनुष्यों का जीवन जीने का मूलतः आधार है,और जो किताबों से ही संभव है!!"।                       "The book is a medium by which we are unaware, unfamiliar. A person sitting in seclusion experiences inner pleasures. Happiness. Entrepreneur's thoughts are pure. The best curious is the one who reads an entire book - May his desire be sustained. He forgets all kinds of sorrows and feels joy because "learning is the basic basis of living human beings, and that which is only from books possible!!"

बहरहाल हर युगों में एक किताब की अपनी एक महत्ता रही है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो हमेशा समाजों में रहना पसंद करता है।यह मनुष्यों का स्वभाव और गुण है।जो परस्पर व्यक्तियों को एक दूसरे से जोड़ता है।उसकी भावनाओं, संवेदनाओं के कारण ही ये संभव है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर दौर में मनुष्यों का संबंध जितना गहरा लगाव प्रकृति के साथ रहा है, उतना ही अत्यधिक लगाव और अटूट संबंध पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों से भी रहा है लेकिन आज के परिवेश में कुछ भिन्नता देखी जा सकती है। लेकिन यहाँ मेरे कहने का तात्पर्य है कि वास्तव में,हर चीज़ की मूल जड़ ही प्रेम है।पूरी दुनिया ही प्रेम के वशीभूत है।उसी कारण मनुष्यों में प्रकृति के साथ-साथ किताबों से परस्पर लगाव रहा है।यह अलग बात है कि आज के आधुनिक युग में पाठकगण में कमी आई है लेकिन उभरती हुई दुनिया में विद्यार्थी,पाठकगण का एक बहुत बड़ा तबका हमारे समक्ष है जो  किताब की महत्ता को समझ रहें हैं और अच्छी किताब को जीवन मानकर चल रहें हैं।उसे पढ़ना पसंद करते हैं, उसमें पर्याप्त रूचि     रख रहे हैं। हमारे उन्नत और विकासशील समाज में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आज के समय में पाठक-गण को अच्छी किताबें आसानीपूर्वक उपलब्ध नहीं हो रहें हैं और अगर बाजारों में पुस्तकें मौजूद भी हैं तो काफ़ी साहित्यिक और क्लिष्ट शब्दों का उपयोग होने के कारण लोग उबाव महसूस कर रहें हैं या हम कह सकते हैं कि कहीं न कहीं पाठक वर्ग का रूझान कम होता दिखाई दे रहा है। साहित्यकारों और हमारे लेखक उस तरह की पुस्तकें कम प्रकाशित हो रहीं हैं जिससे बच्चों का रूझान अध्ययन की तरफ़ हो क्योंकि एक बच्चे ही किसी भी देश का भविष्य होते हैं, सूत्रधार होते हैं।यही कर्णधार होते हैं। एक किताब हर मनुष्यों का भविष्य निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। जैसा कि हम कह सकते हैं कि "एक किताब के बिना मनुष्य का जीवन मूल्यहीन और अर्थहीन है!!"जिसे समझना आज के युवा पीढ़ियों का कर्त्तव्य है। समाज में जीवन-यापन करने वाले हर मनुष्यों की भविष्य निर्धारित करती है 'किताब'! इसके अध्ययन करने से सिर्फ़ बच्चों का चरित्र विकास ही नहीं होता है बल्कि उसके साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है। एक किताब के अध्ययन करने मात्र से जीवन के हर एक तनाव,थकावट और दुखों से सहज ही निजात मिल जाती है।

        सदियों से दुनिया के विद्वानों द्वारा रिसर्च आलेख,कहानी,कविताएँ आदि लिखी गई हैं।जो हमारे समक्ष प्रेरणा के रूप में मौजूद हैं। जिससे कहीं न कहीं एक मनुष्य के जीवन में अध्ययन करने मात्र से ही बदलाव संभव है।जीवन की दिशा-दशा, विकास और विपरित परिस्थितियों में भी ऊर्जावान् महसूस किया जा सकता है। प्राचीन काल से ही मनुष्य लिखना शुरू किया। किसी भी चीज़ को जानने,समझने और अध्ययन करने से पहले उसमें कल्पना करने की क्षमता विकसित हुई। उसके अंदर छोटी-छोटी चीजों को सर्वप्रथम जानने की ललक पैदा हुई। धीरे-धीरे वह प्रकृति के संपर्क में आने के बाद उसमें जानने की इच्छा निरंतर बढ़ती गयी और वह सतत् आगे बढ़ता रहा। वहीं बदलाव आज के दौर में निश्चित तौर पर देखा जा सकता है।भारत देश में वेद-पुराण जैसे महाभारत,रामायण आदि लिखे गए थे।जो उस दौर से लेकर अभी तक इसकी महत्ता बरकरार है। उसमें लिखी गई एक-एक शब्द बेशकीमती हैं। माणिक्य रत्न है।इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक व्यक्ति की महत्ता से अत्यधिक उसके शब्दों की महत्ता होती है, उसके विचार,आचरण, व्यवहार ही परस्पर मनुष्यों से संपर्क स्थापित करती है।उसके व्यक्तित्व को मूलरूप से निखारती है।इस सब गुणों का सार ही पुस्तक हैं जो हमें जीवन जीने की तालीम सीखाती हैं।

          विश्व के कई अनुभवी लेखक,चिंतक, दार्शनिक के द्वारा विभिन्न प्रकार के किताब लिखीं गयी हैं।जो समाज के हर प्रकार की समस्याओं, समाधान का ज़िक्र सहज रूप से किया है।जो देखा जा सकता है। काल्पनिक और ग़ैर काल्पनिक दोनों तरह की पुस्तकें हमारे समक्ष मौजूद हैं, जिन्हें पढ़कर विभिन्न विषयों से संबंधित ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है और जीवन में अपनाकर निरंतर सही दिशा की ओर बढ़ा जा सकता है।

       " मूलतः पुस्तक एक समाज में जीवन जीने वाले मनुष्यों का जीने का आधार है!!"

"Basically the book is the basis for living human beings living life in a society !!"

  विश्व के अंदर कई आसान और जटिल विषयों से संबंधित भी ढ़ेर सारी किताबें लिखी गयी हैं। जिसमें ज्यादातर लेखक अपने विचारों को गद्य या पद्य के माध्यम से व्यक्त करते दिखते हैं। लेकिन यहीं पर कहना चाहूंगा कि क़िताबें ढ़ेर सारी लिखीं तो गयी। लेकिन आज के समयानुसार क़िताबें मनुष्य के जीवन से जुड़कर बहुत कम लिखी जा रही है। आख़िर हमें यह तय करना होगा है कि आख़िर पाठक की माँग क्या है?वह पढ़ना क्या चाहता है?उसकी रूचि किसमें दिन-प्रतिदिन हो रहीं है।यह चीज़ों को ध्यान में रखना हमारे लेखक वर्गों का मूलतः कर्त्तव्य है। विभिन्न प्रकार के किताब जैसे साहित्यिक, विज्ञान, ज्योतिष,कला, जीवन-शैली, सौंदर्यता, इतिहास, संस्कृति,दर्शन और प्रौद्योगिकी आदि पर लिखी गयी हैं।इन विभिन्न विषयों के ज्ञान और अनुभवी लेखक के द्वारा लिखी गई किताबें समाज में उभरते हुए पाठक गण को मंत्रमुग्ध कर रहें हैं। उसमें रूचि ले रहे हैं। किताब दुनिया की सबसे अच्छी आदतों में से एक है जिसे आमतौर पर कोई भी व्यक्ति अपना सकता है।उसके नियमित अध्ययन से जीवन में बदलाव ला सकता है।इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी को आसान बना सकता है और ये चीज़ें ज्ञान प्राप्त करने से ही संभव है जो एक किताब से ही संभव है। जिसे उसे नियमित रूप से अपनाने से जीवन को सुखी बना सकता है।उसके लिए उसे एक दोस्त की तरह किताबों के साथ संबंध स्थापित करना होगा।उसकी महत्ता को समझना होगा।

            एक किताब वादियों में खिले एक फूल के समान होते हैं जो मनुष्य के अंत:करण को प्रकाशित करने में, सुगंधित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

         वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए शायद ही कोई ऐसा  घर होगा      जहाँ पुस्तक न  हो।पहले समय में किताब की महत्ता थी, उसमें कमोवेश परिवर्तन देखी जा सकती है।हम सब को चाहिए कि        इसके उच्च शिक्षा आदर्शों का अनुसरण कर हम श्रेष्ठतम चरित्र का निर्माण करें और स्वयं के तथा अपने कुल व राष्ट्र के नाम को गौरवान्वित करें।     

                  गीता में कहा गया है- ”ज्ञानात ऋते न मुक्ति” अर्थात् ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है । ज्ञान की प्राप्ति के मुख्यत: दो मार्ग है- सत्संगति और ‘स्वाध्याय’ । तुलसीदासजी ने सत्संगति की महिमा बताते हुए कहा है- ”बिन सत्संग विवेक न  होई” परन्तु सत्संगति की प्राप्ति रामकृपा पर निर्भर है । यदि भगवान की कृपा होगी तो व्यक्ति को सत्संगति मिलेगी ।

परन्तु पुस्तकें तो सर्वत्र सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं । ज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं-पुस्तकें । आज संसार की प्राचीनतम पुस्तकें भी हमें उपलब्ध हैं । प्रत्येक भाषा में विपुल साहित्य उपलब्ध है । प्रत्येक मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार अध्ययन करके अपने ज्ञान क्षितिज का विस्तार कर सकता है ।

एक युग था जब पुस्तकों का प्रकाशन सम्भव नहीं था । ज्ञान का माध्यम वाणी ही थी । अधिक से अधिक भोजपत्र उपलब्ध थे । जिन पर रचनाएं लिपिबद्ध की जाती थीं । परन्तु आज के युग में छापेखाने का आविष्कार होने के बाद हमें ऋषि-मुनियों, दार्शनिकों, चिन्तकों और साहित्यकारों के विचार मुद्रित रूप में उपलब्ध हैं । अत: हम उनका अध्ययन करके अपने जीवन को सुगम बना सकते हैं और सही दिशा की ओर निरंतर आगे बढ़ सकते हैं।एक किताब मनुष्य को सदा नकरात्मता से हटाकर मानव के जीवन के मूल्यों के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।           कुछ दिनों पहले मेरे द्वारा इस पर कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियां लिखीं गयी थी।जिसे पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है-----------------------

"एक किताब में ही मनुष्य के जीवन और भविष्य दोनों टिकी होती है!!"

"In a book, only people's life and future rests."      

 किताब मुख्यत: विद्वानों, मनीषियों के अनुभव के द्वारा लिखी गई एक लिखित दस्तावेज होती है जिसमें हर प्रकार के ज्ञान का समावेश होता है। जिसे पढ़कर हम आंतरिक सुखों की प्राप्ति होती है। एक किताब को पढ़ना ही हमारा मूल कर्त्तव्य नहीं होना चाहिए बल्कि उसमें लिखी गयी हर बातों पर गंभीरता पूर्वक मनन-चिंतन भी करना चाहिए। अतः हम कह सकते हैं कि एक किताब हरेक मनुष्यों का भविष्य निर्धारित करती है। किताबों से आइए हम पढ़ते हैं--'किताब पर एक कविता'

 किताब भले दिखने में हो छोटी,

 ज्ञान होती है उसमें बहुत गहरी।

कुछ किताबें होती हैं बहुत भारी,

लेकिन जानकारी देती यह ढ़ेर सारी।

यह हमारे सोए मन को जगाती है,

हर रोज़ हमें कुछ नया सिखाती है।

 क़िताबें होती है  दिखने में बहुत भारी,

लेकिन होती है इसमें बहुत सी जानकारी।

माँ सरस्वती ही किताबों में रहती है,

इसलिए यह हर दिलों में बसती है।।

एक किताब ही ज्ञान की खान है,

इसी से तो हम सबकी जान-पहचान है।।

वेद-पुराण, उपनिषद,ग्रंथ में बसते भगवान्,

हर दिन इसलिए हम करते हैं इसका गुणगान्।।

एक पुस्तक ही ज्ञान की खान है,

यह तो हर चीज़ों से ही महान् है।।

भटक जाते राह में जब भी कोई,

बदल देती  जीवन के भविष्य को,

इसी से तो हम सब की शान है,

किताब से मनुष्यों की पहचान है।।

हे मानव।जीवन है क्षणभंगुर जैसा,

इसी में हर मानव का हिसाब है,

क्या पाया?क्या खोया?क्या जाना?

बढ़ाती ज्ञान जो वहीं किताब है।।

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